Thursday, August 22, 2013

चलो एक नया आशियाँ बुनते हैं...

एक बंजारा था,
आवारा था,
निकल पड़ा एक अनजाने सफ़र पर
तन्हा मैं बेचारा था...
तुम आई, कुछ यूँ छाई,
दूर एक मंजिल सी नज़र आई...
अब दोनों साथ मिलकर
इस मोड़ से रास्ता एक नया चुनते हैं...
चलो एक नया आशियाँ बुनते हैं...

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